हनुमान जी के सम्बन्ध में 10 अनसुनी बातें

कलयुग में भवसागर को पार लगाने वाले दो ही हैं नाम चाहे कृष्ण कहो या राम। रामदूत हनुमानजी इन दोनों के ही सेवक हैं यह दो नहीं असल में एक ही हैं। हनुमान जी को बलशालियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है इस संपूर्ण ब्रहमांड में उनके आराध्या राधे के भक्तों के सिवाय उन्हें कोई भी झुका नहीं सकता। आइए जानते हैं महावीर हनुमान जी के संबंध में 10 अनसुनी बातें।


1. क्यों प्रमुख देव हैं हनुमान : श्री राम की आज्ञा से हनुमान जी एक कल्प तक इस धरती पर रहेंगे एक कप में चारों युग के कई चक्र होते हैं हनुमान जी 4 कारणों से सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ है। पहला कारण यह है कि सभी देवताओं के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं जैसे विष्णु के पास लक्ष्मी जी शिव जी के पास पार्वती और ब्रह्मा जी के पास सरस्वती जी हनुमान जी के पास खुद की शक्ति है बेखुद की शक्ति से संचालित होते हैं दूसरा कारण यह है कि वह इतने शक्तिशाली होने के बावजूद ईश्वर की प्रति अपनी पूर्ण समर्पित है तीसरा यह कि वह अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा या कि वे आज भी सशरीर ब्रह्मांड में मौजूद है।

2. भक्तों को दिए दर्शन : हर युग और हर समय में उन्होंने श्री राम श्री कृष्णा या अपने भक्तों को दर्शन दिए हैं भीम और अर्जुन ने द्वापर युग में हनुमान जी के दर्शन किए थे वही कलयुग में तुलसीदास जी, समर्थरामदास जी, भक्ति माधव दास जी, नीम करोली बाबा, राघवेंद्र स्वामी जी आदि कई लोगों ने उनके साक्षात दर्शन किए हैं।


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3. गंधमादन पर्वत : कहते हैं की हनुमान जी नेपाल तिब्बत सीमा पर स्थित गंधमादन पर्वत पर रहते हैं। और वह वहां पर रहते हैं जहां पर रामायण का पाठ होता है। जगन्नाथ पुरी की रक्षण में वहां पर भी विराजमान है।


4. हनुमत रामायण : सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया इस कौवे का पुनर्जन्म कागभूसुंडी के रूप में हुआ। कागभुसुंडि ने भगवान गरुड़ को कथा सुनाई थी परंतु बाल्मीकि रामायण से पहले हनुमान ने रामायण को एक शिला पर लिख दिया था हनुमान जी ने एक शीला चट्टान पर अपने नाखूनों से लिखी थी या हनुमत रामायण के नाम से प्रसिद्ध है परंतु बाद में उन्होंने वाल्मीकि जी की निराशा को देखते हुए इसे समुद्र में फेंक दिया था।


5. हनुमान जी के खास नाम हनुमान के पिता सुमेर पर्वत के राजा केसरी थे तथा उनकी माता का नाम अंजना था इसलिए उन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है इसलिए इनका नाम पवन पुत्र हुआ उसे कल में वायु को मारुति भी कहा जाता था मारुति अर्थात वायु इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है उन्हें शंकर सुमन भी कहा जाता है अर्थात शंकर जी के पुत्र। इंद्र के वज्र से हनुमान की हनु यानी ठुड्डी टूट गई थी इसलिए तब से उनका नाम हनुमान हो गया। वज्र को धारण करने वाले पर वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें बजरंगबली कहा जाने लगा।


6. हनुमान जी के गुरु : मतंगऋषि के शिष्य थे हनुमान जी। हनुमान जी ने कई लोगों से शिक्षा ली थी। सूर्य और नारद के अलावा कथाओं के अनुसार हनुमान जी के गुरु मतंग ऋषि भी थे। मतंग ऋषि शबरी के भी गुरु थे कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था।


7. हनुमान और राम जी का युद्ध : कथाओं के अनुसार भगवान राम का अपने भक्त हनुमान से युद्ध भी हुआ था। गुरु विश्वामित्र के निर्देशानुसार भगवान राम को राजा ययाति को मारना था। राजा ययाति ने हनुमान से शरण मांगी। हनुमान ने राजा ययाति को वचन दे दिया। हनुमान ने किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाय भगवान राम का नाम जपना शुरू कर दिया। राम ने जितने भी बाण चलाएं सब बेअसर रहे। विश्वामित्र हनुमान की श्रद्धा भक्ति देखकर हैरान रह गए और भगवान राम को इस धर्म संकट से मुक्ति दिलाई।


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8. माता जगदंबा के सेवक हनुमान राम भक्त हनुमान जी माता जगदंबा के सेवक हैं हनुमान जी माता के आगे आगे चलते हैं और भैरव जी पीछे-पीछे माता के देश भर में जितने भी मंदिर हैं वहां उनके आसपास हनुमान और भैरव के मंदिर जरूर होते हैं हनुमान की खाड़ी मुद्रा में और भैरव का कटाक्ष होता है कुछ लोग उनकी यह कहानी माता वैष्णो देवी से जोड़कर देखते हैं भगवान श्री राम और माता दुर्गा की कृपा चने के लिए हनुमान जी की भक्ति जरूरी होती है हनुमान जी की शरण में जाने से सभी सुख सुविधा प्राप्त होती हैं इसके साथ ही जब हनुमान जी हमारे रक्षक हैं तो हमें किसी भी अन्य देवी देवता बाबा साधु पीर फकीर ज्योतिष आदि की बातों में भटकने की जरूरत नहीं धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य कर देवों के हाथ में मां दुर्गा भैरव हनुमान जी और स्वयं श्री हरि विष्णु।


9. ब्रह्मास्त्र है हनुमान जी पर बी असर हनुमान जी के पास कई वरदानी शक्ति थी लेकिन फिर भी बगैर वरदानी शक्ति के भी शक्तिशाली थे ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें उन पर ब्रह्मास्त्र व्यसर होना भी शामिल था, जो अशोक वाटिका में काम आया।


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10. हनुमान जी को जब मिला मृत्यु दंड : कथाओं के अनुसार भगवान राम जब राज सिंहासन पर विराजमान थे तब नारद ने हनुमान जी से विश्वामित्र को छोड़कर सभी साधुओं से मिलने के लिए कहा। हनुमान जी ने ऐसा ही किया। तब नारदमुनि विश्वामित्र के पास गए और उन्होंने विश्वामित्र को खूब भड़काया इसके बाद विश्वामित्र गुस्सा हो गए और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। भड़कते हुए वह श्री राम के पास गए और उन्होंने श्री राम से हनुमान को मृत्युदंड देने की सजा का कहा। श्री राम अपने गुरु विश्वामित्र की बात कभी टालते नहीं थे उन्होंने बहुत ही दुखी होकर हनुमान पर बाण चलाए, लेकिन हनुमान जी राम का नाम जपते रहे और उनको कुछ नहीं हुआ। राम को अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना ही था इसलिए भगवान श्री राम ने हनुमान पर ब्रह्मास्त्र चलाया लेकिन आश्चर्य जनक रूप से राम नाम का जाप कर रहे हनुमान का ब्रह्मास्त्र भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया। यह सब देखकर नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और अपनी भूल स्वीकार की और फिर युद्ध समाप्त हुआ।

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