Study Material : प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत | सम्पूर्ण जानकारी | Sources of knowing ancient history. complete information

प्राचीन इतिहास को जानने के लिए सभी स्त्रोतों को मुख्य तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है |

1. साहित्यिक     2. पुरातात्विक

साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)

साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है.

(i) धार्मिक साहित्य (Religious Literature)

वेदइसका अर्थ होता है- महत् ज्ञान, अर्थात् पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान, संपूर्ण वैदिक इतिहास की जानकारी के स्रोत वेद ही हैं. इनकी संख्या चार है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद.

वेदांग इनसे वेदों के अर्थ को सरल ढंग से समझा जा सकता है. इनकी संख्या 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष.

ब्राह्मण ग्रंथवेदों की गद्य रूप में की गई सरल व्याख्या को ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है.

आरण्यक इसकी रचना जंगलों में की गई. इसे ब्राह्मण ग्रंथ का । अंतिम हिस्सा माना जाता है, जिसमें ज्ञान एवं चिंतन की प्रधानता है,

उपनिषद् – ब्रह्म विद्या प्राप्त करने के लिए गुरु के समीप बैठना, इन्हें वेदांत भी कहा जाता है

  • इनकी कुल संख्या 108 है, भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्यसत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद् से लिया गया है.
  • इसी उपनिषद् में यज्ञ की तुलना टूटी नाव से की गई है.
  • श्रीकृष्ण का सर्वप्रथम उल्लेख छांदोग्यपनिषद् में हुआ है |
  • उपनिषदों से तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है.

महाकाव्य रामायण एवं महाभारत भारत के दो प्राचीनतम महाकाव्य हैं. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इनका रचनाकाल चौथी शताब्दी ई०पू० से चौथी शताब्दी ई० के बीच माना जाता है.

  • रामायण इसके रचनाकार महर्षि बाल्मीकि हैं. संस्कृत भाषा में लिखे इस महाकाव्य में कुल 24000 श्लोक हैं. इससे तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थितियों की जानकारी मिलती है.
  • महाभारतआरंभ में इसका नाम जयसंहिता था. इसके रचनाकार महर्षि वेदव्यास हैं. इसमें श्लोकों की मूल संख्या 8800 थी, लेकिन वर्तमान में कुल संख्या 1,00000 है. इसमें कुल 18 पर्व हैं.
  • श्रीमद्भागवतगीता भीष्मपर्व से संबंधित है. महाभारत का युद्ध 950 ई० पू० में लड़ा गया था, जो 18 दिनों तक चला, यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है. इसे पाँचवें वेद के रूप में मान्यता मिली है.

पुराण इसे पंचमवेद भी कहा जाता है|

  • लोमहर्ष तथा उनके पुत्र उग्रश्रवा पुराणों के संकलनकर्ता माने जाते हैं. इनकी संख्या 18 है. इनमें मुख्य रूप से प्राचीन शासकों की वंशावली का विवरण है.
  • पुराणों में सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रामाणिक मत्स्यपुराण है. यह सातवाहन वंश से संबंधित है.
  • विष्णु पुराण से मौर्य वंश तथा वायु पुराण से गुप्त वंश के विषय में जानकारी मिलती है.

बौद्ध साहित्य– यह मूल रूप से चार भागों में विभाजित है-जातक, त्रिपिटक, पालि एवं संस्कृत

  • जातक – यह बौद्धों का एक पवित्र ग्रंथ है. यह 550 कथाओं का एक संग्रह है. इसमें महात्मा | बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियाँ वर्णित हैं. अजन्ता की चित्रकारी जातक की कहानियाँ दर्शाती है.
  • त्रिपिटक- त्रिपिटकों की भाषा प्राकृत है. ये तीन हैं- सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक,पालि ग्रंथ- प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में हैं.
  • मिलिंदपन्हो- इस बौद्ध ग्रंथ में यूनानी नरेश मिनाण्डर (मिलिंद) एवं बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच वार्तालाप का वर्णन है | दीपवंश- श्रीलंका (सिंहल द्वीप) के इतिहास पर प्रकाश डालने वाला यह पहला बौद्ध ग्रंथ है.
  • महावंश– इसमें मगध के राजाओं की क्रमबद्ध सूची है.

  • चूल वंश– इससे कैण्डी चोल साम्राज्य के विघटन की जानकारी मिलती है.

संस्कृत ग्रंथ

  • ललितविस्तार– संस्कृत भाषा में बौद्ध धर्म का यह पहला ग्रंथ है.
  • दिव्यावदान– इसमें शुंग वंश एवं मौर्य शासकों के विषय में वर्णन है.
  • जैन साहित्य– ये प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में हैं, इन्हें आगम कहा जाता है.आचराग सूत्र– इसमें जैन भिक्षुओं के विधि-निषेध एवं आचार-विचारों का वर्णन है.
  • भगवती सुत्र– इसमें महावीर स्वामी के जीवन तथा अन्य समकालिकों के साथ उनके संबंधों का विवरण है. इसी में 16 महाजनपदों का भी विवरण है.

      प्रमुख दर्शनप्रवर्तक
      चार्वाक (भौतिकवादी)चार्वाक
      सांख्यकपिल
      योगपतंजलि (योग सूत्र)
      न्यायगौतम (न्याय सूत्र)
      वैशेषिककणाद या उलूक
      पूर्व मीमांसाजैमिनी
      उत्तर मीमांसाबादरायण (ब्रह्मसूत्र)
(ii) धर्मेत्तर साहित्य (Non-Religious literature)
  1. संगम साहित्य – इसमें चोल, चेर तथा पांड्य राज्यों के उदय का वर्णन है. इसमें कविताओं की कुल 30,000 पंक्तियाँ हैं. ये कविताएँ दो मुख्य समूहों (1.पटिनेडिकलकणक्कु तथा 2. पतुपात्तु) में विभाजित हैं. पहला समूह बाद वाले समूह से पुराना है.
  2. मनुस्मृति – यह सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक है. इससे तत्कालीन भारतीय राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थितियों की जानकारी मिलती है. इसमें विवाह के आठ प्रकारों का उल्लेख है- ब्रह्म, दैव, आर्य, प्रजापत्य, गंधर्व, असूर, राक्षस एवं पैशाच. नोटः अनुलोम विवाह– उच्च वर्ग के पुरुष का निम्न वर्ग की स्त्री के साथ शादी करना अनुलोम विवाह कहलाता है.. प्रतिलोम विवाह- उच्च वर्ग की कन्या का निम्न वर्ग के पुरुष के साथ शादी करना प्रतिलोम विवाह कहलाता है.
  3. नारद स्मृति – इससे गुप्तवंश के विषय में जानकारी मिलती है.
  4. अर्थशास्त्र – आचार्य चाणक्य ( विष्णुगुप्त) या कौटिल्य द्वारा संस्कृत भाषा में रचित इस ग्रंथ को भारतीय राजनीति का पहला भारतीय ग्रंथ माना जाता है. लगभग 6000 श्लोकों वाले इस ग्रंथ में मौर्यकालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थितियाँ वर्णित हैं.
  5. मुद्राराक्षस – विशाखदत्त द्वारा रचित इस नाटक में चंद्रगुप्त मौर्य तथा उनके गुरु चाणक्य द्वारा नन्द वंश के पतन तथा मौर्य वंश की स्थापना का वर्णन है.
  6. मालविकाग्निमित्रम् – कालिदास द्वारा रचित इस ग्रंथ में पुष्यमित्र शुंग एवं उसके पुत्र अग्निमित्र के समय की राजनीतिक स्थिति तथा शुंग एवं यवन संघर्ष का वर्णन है.
  7. हर्षचरित – सम्राट् हर्ष के राजकवि बाणभट्ट द्वारा रचित इस ग्रंथ से हर्ष के जीवन एवं तत्कालीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है.
  8. स्वप्नवास्वदत्तं – महाकवि भास द्वारा रचित इस ग्रंथ में वत्सराज उदयन एवं चंडप्रद्योत के संबंधों का उल्लेख है.
  9. राजतरंगिणी – कल्हण द्वारा रचित इस पुस्तक का संबंध कश्मीर के इतिहास से है. इसे भारतीय इतिहास का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है.
  10. मृच्छकटिकम् – शूद्रक द्वारा रचित इस नाटक से गुप्तकालीन इतिहास की जानकारी मिलती है.
  11. विक्रमांकदेवचरित् – कश्मीरी कवि विल्हण द्वारा रचित इस ग्रंथ से चालुक्य राजवंश विशेषकर विक्रमादित्य पंचम के विषय में जानकारी मिलती है.
  12. कीर्ति-कौमुदी – सोमेश्वर द्वारा रचित इस काव्य से चालुक्यवंशीय इतिहास की जानकारी मिलती है.
  13. अवन्तिसुंदरी कथा – महाकवि दंडी द्वारा रचित इस ग्रंथ से दक्षिण भारत के पल्लवों के इतिहास की जानकारी मिलती है.
  14. अष्टाध्यायी – पाणिनी द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण की यह प्रथम प्रामाणिक पुस्तक है.
      ग्रंथरचनाकारकाल
      अष्टाध्यायीपाणिनीछठी शताब्दी ईसापूर्व
      रामायणबाल्मीकिपांचवी शताब्दी ईसा पूर्व
      महाभारतवेदव्यासचौथी शताब्दी ईसापूर्व
      अर्थशास्त्रचाणक्यतीसरी शताब्दी ईसा पूर्व
      इंडिकामेगास्थनीजचंद्रगुप्त मौर्य (मौर्य काल)
      पंचतंत्रविष्णु शर्मादूसरी शताब्दी ईसा पूर्व
      महाभाष्यपतंजलिदूसरी शताब्दी ईसा पूर्व
      सत्सहसारिका सूत्रनागार्जुनकनिष्क काल
      बुद्ध चरित्रअश्वघोषकनिष्क काल
      सौंदरानंदअश्वघोषकनिष्क काल
      स्वप्नवासवदत्ताभासगुप्त काल (300 ईसवी)
      काम सूत्रवात्स्ययनगुप्तकाल (300 ईसवी)
      कुमारसंभवकालिदासगुप्त काल
      अभिज्ञान शाकुंतलम्कालिदासगुप्त काल
      विक्रमोर्वशीयम्कालिदासगुप्त काल
      मेघदूतम्कालिदासगुप्त काल
      रघुवंशम्कालिदासगुप्त काल
      मालविकाग्निमित्रम्कालिदासगुप्त काल
      नाट्यशास्त्रभरतमुनिगुप्त काल
      महाविभाषाशास्त्रवसुमित्रकनिष्क काल
      देवीचंद्रगुप्तमविशाखदत्तगुप्त काल
      मृच्छकटिकम्शूद्रकगुप्त काल
      सूर्य सिद्धांतआर्यभट्टगुप्त काल
      वहत्ससहिंताबारह मिहिरगुप्त काल
      कथासरित्सागरसोमदेवगुप्त काल

विदेशी लेखक एवं उनके साहित्य

    1. हेरोडोटस इसे इतिहास का पिता कहा जाता है. इसने हिस्टोरिका नामक पुस्तक की रचना की, जिसमें भारत तथा ईरान (फारस) के बीच आपसी संबंधों का वर्णन है.
    2. मेगास्थनीज- यह चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था. इसके द्वारा रचित इंडिका नामक पुस्तक में मौर्यकालीन नगर प्रशासन तथा कृषि का वर्णन है.
    3. डायमेकस- यह सीरियन नरेश अन्तियोकस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के दरबार में आया था.
    4. डायनोसियस- यह मिस्र नरेश टॉलमी फिलेडेल्फस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के दरबार में आया था.
    5. प्लिनी- इसने नेचुरल हिस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी. इसमें भारतीय पशु, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि का वर्णन है.
    6. फाह्यान - (399-415 ई०)- प्रथम चीनी यात्री जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आया था. अपनी पुस्तक में इसने तत्कालीन भारतीय राजनीतिक तथा सामाजिक स्थितियों का वर्णन किया है.
    7. ह्वेनसांग - (629-644ई०)- इसे यात्रियों के सम्राट् या यात्रियों के राजकुमार के नाम से भी जाना जाता है. यह सम्राट् हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था. इसके द्वारा लिखित यात्रा-वृतांत सी-यू-की से तत्कालीन भारत के संबंध में जानकारी मिलती है. इसने नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन तथा अध्यापन का कार्य किया.
    8. इत्सिंग  यह भी एक चीनी यात्री था. इसने 670 ई० के आस-पास भारत के बिहार प्रदेश का भ्रमण किया था. इसने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन भी किया था.

          रचनाकारदेशरचना का नाम
          मेगास्थनीजयूनानइंडिका
          टॉलेमीयूनानज्योग्राफी
          प्लिनीयूनाननेचुरल हिस्टोरिका
          अज्ञातयूनान/मिस्त्रपेरिप्लस ऑफ इरीथ्रियन सी
          फाह्यानचीनए रिकॉर्ड ऑफ बुद्धिस्ट कंट्रीज
          ह्णेनसांगचीनएस्से ऑन बेस्ट इन वर्ल्ड
          इत्सिंगचीनरिकॉर्ड ऑफ द बुद्धिस्ट रिलिजन एज प्रैक्टिस्ड इन इंडिया एंड मलाया
          ह्मवलीचीनलाइट ऑफ ह्णेनसांग
          अलबरूनीअरबतहक़ीक़ ए हिंद

    पुरातात्त्विक स्रोत (Archaeological Sources)

    1. खुदाई के दौरान प्राप्त वे पुरानी वस्तुएँ, जिनसे इतिहास की रचना में सहायता मिलती है, पुरातात्विक स्रोत कहलाती हैं. इनमें अभिलेख, मुद्रा, स्मारक आदि प्रमुख हैं. जॉन कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व का पिता कहा जाता है.
    मुद्राएँ अथवा सिक्के 
    1. प्राचीन भारत के गणराज्यों का अस्तित्व मुद्राओं से ही प्रमाणित होता है. उनपर अंकित तिथियों से कालक्रम को निर्धारित करने में सहायता मिलती है.
    2. प्राचीन सिक्कों का अध्ययन न्यूमिसमेटिक्स कहलाता है |
    3. भारत में प्राचीनतम सिक्का 5 वीं शताब्दी ई०पू० का है, जिसे आहत सिक्का (पंच मार्क) कहा जाता है. यह मुख्यतया चांदी धातु से निर्मित है.
    4. भारत में सर्वप्रथम सोने का सिक्का हिन्द-यवन शासक द्वारा जारी किया गया.
    5. भारत में सर्वाधिक सोने के सिक्के गुप्त शासकों द्वारा तथा शुद्धतम सोने के सिक्के कुषाण शासक कनिष्क द्वारा जारी किए गए.
    6. सातवाहन शासकों ने सीसा तथा पोटीन के सिक्के जारी किए. इन्होंने सोने के सिक्के जारी नहीं किए
    7. सर्वाधिक सिक्के मौर्योत्तर काल के तथा सबसे कम सिक्के गुप्तोतर काल के मिले है.
    अभिलेख – अभिलेख प्रायः स्तंभों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं, मूर्तियों, मंदिरों की दीवारों इत्यादि पर खुदे मिलते हैं. अभिलेखों का अध्ययन पुरालेखशास्त्र (Epigraphy) कहलाता है.
    1. भारत का सबसे पुराना अभिलेख हड़प्पा काल का माना जाता है, जिसे अभी तक नही पढ़ा जा सका है |
    2. प्राचीनतम पठनीय अभिलेख सम्राट् अशोक का है, जिसे पढ़ने में 1837 ई० में जेम्स प्रिंसेप को सफलता मिली थी.
    3. सर्वाधिक अभिलेख मैसूर में पुरालेख शास्त्री के कार्यालय में संग्रहित है |
      कुछ प्रमुख अभिलेख
      1. जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख– यह शक शासक रुद्रदमन प्रथम का अभिलेख है. यह संस्कृत भाषा का सबसे लंबा एवं प्रथम अभिलेख है.
      2. एन अभिलेख– इसे गुप्त शासक भानुगुप्त द्वारा जारी किया गया. इसी अभिलेख में सर्वप्रथम सती–प्रथा की चर्चा मिलती है.
      3. एहोल अभिलेख– यह बादामी के चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय का है, जिसे उसके मंत्री रविकीर्ति द्वारा तैयार किया गया था.
      4. हाथी गुम्फा अभिलेख– इसे कलिंग शासक खारवेल द्वारा जारी किया गया था. इसी अभिलेख में सर्वप्रथम ईस्वीवार घटनाओं का विवरण मिलता है.
      5. इलाहाबाद अभिलेख (प्रयाग प्रशस्ति)– मूल रूप से यह अभिलेख सम्राट् अशोक का है. बाद में इसपर हरिषेण द्वारा समुद्रगुप्त की उपलब्धियों को खुदवाया गया. आगे चलकर मुगल शासक जहाँगीर ने भी इसपर अपना संदेश खुदवाया.
      6. मास्की एवं गुर्जरा अभिलेख– ये दोनों ही अभिलेख सम्राट् अशोक के हैं, जिनमें क्रमशः अशोक प्रियदर्शी तथा अशोक नाम का उल्लेख है.
      7. भाबू एवं रुमिनदेयी अभिलेख– ये दोनों ही अभिलेख अशोक के हैं, जिनसे अशोक के बौद्ध धर्म के प्रति आस्था का पता चलता है.
      8. रूपनाथ अभिलेख– इस अभिलेख से अशोक के शैव-धर्म के प्रति आस्था का पता चलता है. पर्सीपोलिस व नक्श-ए-रुस्तम- इस अभिलेख में भारत तथा ईरान के संबंधों का वर्णन है.
      9. बोगजकोई (एशिया माइनर)– 1400 ई०पू० के इस अभिलेख में इन्द्र, वरुण, मित्र तथा नासत्य नामक चार देवताओं का उल्लेख है.
            अभिलेखशासक
            महास्थान अभिलेखचंद्रगुप्त मौर्य
            गिरनार अभिलेखरुद्रदामन
            प्रयाग प्रशस्तिसमुद्रगुप्त
            उदयगिरि अभिलेखचंद्रगुप्त द्वितीय
            भितरी स्तंभलेखस्कंदगुप्त
            एरण अभिलेखभानुगुप्त
            ग्वालियर प्रशस्तिराजा भोज
            हाथीगुम्फा अभिलेखखारवेल
            नासिकगौतमी बलश्री
            देवपाडाविजय सेन
            ऐहोलपुलकेशिन द्वितीय
      स्मारक

       तक्षशिला यहाँ से प्राप्त अवशेषों से कुषाण वंश के इतिहास की जानकारी मिलती है. अंकोरवाट (कंबोडिया) तथा बोरोबुदूर मंदिर (जावा)- यहाँ से प्राप्त अनेक प्रतिमाओं से पता चलता है कि इन देशों से भारत के व्यापारिक तथा सांस्कृतिक संबंध थे.

      In Short | Quick Revision

      धार्मिक साहित्यिक स्त्रोत
      • बाह्मण साहित्य- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद, महाभारत, रामायण, पुराण
      • बौध्द साहित्य- सुत्तपिटक, विनयपिटक, अभिधम्मपिट्क, महावंश, दीपवंश, ललित विस्तार, बुध्दचरित (रचनाकार-अश्वघोष), महाविभाष (रचनाकार-वसुमित्र) जातक आदि
      • जैन ग्रंथ- कल्पसूत्र, भगवती सूत्र, आचारांग सूत्र इत्यादि

      अर्ध्द ऐतिहासिक साहित्यिक स्त्रोत
      • मुद्राराक्षस, अभिज्ञान शाकुंतलम, अर्थशास्त्र आदि
      ऐतिहासिक साहित्यिक स्त्रोत

      • हर्षचरित, पृथ्वीरास रासो, राजतरंगिणी (राजतरंगिणी की रचना 12 वीं सदी में कल्हण द्वारा की गई थी पहली बार ऐतिहासिकता की झलक इसी ग्रंथ में मिलती है इसकी भाषा संस्कृत है)
      पुरातात्विक स्त्रोत

      • जो स्तम्भों, गुफाओं, मूर्तिओं, मुद्राओं, शिलाओं आदि उत्कीर्ण होते है अभिलेख कहलाते है
      • सर्वाधिक महत्वपूर्ण अभिलेख सम्राट अशोक के है, जिसको पहली बार जेम्स प्रिंसेप ने पढा था
      • कालिंगराज खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख, समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशास्ति
      • रुद्रदामन का जूनागढ अभिलेख संस्कृत भाषा में जारी प्रथम अभिलेख माना जाता है
      • अभिलेखों के अतिरिक्त सिक्के, स्मारक व भवन, मूर्तियां, चित्रकला, भौतिक अवशेष, माद्भाण्ड, आभूषण एवं अस्त्र शस्त्र भी इसके अंतर्गत आते है
      विदेशी विवरण

      • हेरोडोटस की रचना हिस्टोरिका से भारत-ईरान संबंध तथा उत्तर-पश्चिम भारत की जानकारी मिलती है
      • टॉलेमी ने ‘ज्योग्राफी’ लिखा, हेगसांग हर्ष के समय 629 ई. में आया था, उसने ‘सी-यू-की’ की रचना की,
      • अलबरूनी ने तहकीक-ए-हिंद की रचना की
      16 Quick Revision Facts
      1. सर्वप्रथम १८३७ में जेम्स प्रिन्सेप को अशोक के अभिलेख को पढने में सफलता मिली |
      2. भारत से बाहर सर्वाधिक प्राचीनतम अभिलेख मध्य एशिया के बोगजकोई नामक स्थान से लगभग १४०० ई. पू. के मिले है जिसमें इंद्र, मित्र, वरुण और नासत्य आदि वैदिक देवताओं के नाम मिले है |
      3. सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र (न्युमिसमेटिक्स )कहा जाता है |
      4. सर्वप्रथम हिन्द- यूनानियों ने ही स्वर्ण मुद्रा जारी की |
      5. सर्वाधिक शुध्द स्वर्ण मुद्राए कुषाणों ने तथा सबसे अधिक स्वर्ण मुद्राएं गुप्तों ने जारी की |
      6. चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) को सम्मिलित रूप से संहिता कहा जाता है |
      7. ऋग्वेद में मुख्यतः देवताओं की स्तुतियाँ तथा यजुर्वेद में यज्ञों के नियम तथा विधि विधानों का संकलन है|
      8. सामवेद यज्ञों के अवसर पर गाये जाने वाले मंत्रों का संग्रह तथा अथर्ववेद में धर्म, औषधी प्रयोग, रोग निवारण, तन्त्र-मन्त्र , जादू-टोना जैसे अनेक विषयों का वर्णन है|
      9. उपनिषदों में आध्यात्म तथा दर्शन के गूढ़ रहस्यो का विवेचन हुआ है वेदों का अंतिम भाग होने के कारण इसे वेदान्त भी कहा जाता है|
      10. सबसे प्राचीन बौध्द ग्रन्थ पाली भाषा में लिखित त्रिपिटक है ये है- सुत्तपिटक, विनयपिटक, अभिधम्मपिटक|
      11. जैन साहित्य को आगम कहा जाता है, इनकी रचना प्राकृत भाषा में हुई है|
      12. हेरोडोटस को इतिहास का पिटा कहा जाता है, जिनकी प्रसिध्द पुस्तक ‘हिस्टोरिका’ है |
      13. अज्ञात लेखक की रचना ‘पेरिप्लस ऑफ़ डी एरिथ्रियन सी’ में भारतीय बंदरगाहों तथा वाणिज्यिक गतिविधियों का विवरण मिलता है |
      14. फाह्यान की प्रसिध्द रचना ‘फी-क्यों-की’ अथ्वा ‘ए रिकार्ड ऑफ़ डी बुधदिस्ट कंट्रीज’ है |
      15. हेंगसाँग के यात्रा वृतांत सी-यू-की अथ्वा एस्से ओं वेस्टर्न वर्ल्ड है |
      16. अलबरूनी की रचना ‘तहकीके हिन्द’ में गुप्तोत्तर कालीन समाज का विविधतापूर्ण विवरण मिलता है |
      33 Quick Revision Questions.

      1. ऐतिहासिक दृष्टि पर आधारित पहला भारतीय ग्रन्थ कौन-सा है?
      • कल्हणकृत ‘राजतरंगिणी
      2. भारतीय समाज मुख्य रूप से कितने भागों में विभाजित था?
      • 4 भागों में (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र)
      3. स्त्रोतों के रूप में धार्मिक साहित्य को कितने उपवर्गों में विभाजित किया गया है?
      • हिन्दू धर्म से सम्बद्ध साहित्य, बौद्ध साहित्य व जैन साहित्य
      4. सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है?
      • ऋग्वेद
      5. पुराणों की संख्या कितनी बताई गई है?
      • 18
      6. ऋग्वेद के पश्चात् किन ग्रन्थों की रचना हुई?
      • सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्
      7. पुराणों से कौन-से प्राचीन भारतीय राजवंशों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है?
      • शिशु, नन्द, मौर्य, शुंग, कण्व,सातवाहन व गुप्त काल आदि
      8. पुराणों से कौन-से विदेशियों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है ?
      • शक, यवन, हूण आदि
      9. बौद्धों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ पिटक कौन-कौन से हैं?
      • सुत्तपिटक, विनयपिटक, अभिधम्मपिटक
      10. पिटकों की रचना कहाँ व किस भाषा में हुई?
      • श्रीलंका में, पालि भाषा में
      11. दक्षिणी बौद्धमत के ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
      • महावंश व दीपवंश
      12. बुद्धचरित की रचना किस रचनाकार द्वारा किसके शासनकाल में हुई?
      • कनिष्क के शासनकाल में अश्वघोष द्वारा
      13. बौद्धों के प्रसिद्ध ग्रंथ जातकों की संख्या कितनी है?
      • 600
      14. जैन धर्म के सूत्र ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
      • कल्प सूत्र, भगवती सूत्र, आचारांग सूत्र आदि
      15. जैन ग्रन्थों में ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ कौन-सा है?
      • हेमचन्द्र रचित ‘परिशिष्ट पर्व |
      16. ऐतिहासिक महत्व के प्रथम ग्रंथ की रचना कौन-सी है?
      • ‘हर्षचरित’ रचना
      17. प्राचीन भारत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला ग्रन्थ कौन-सा है?
      • चंदबरदाई द्वारा रचित ‘पृथ्वीराज रासो’
      18. ऐतिहासिक ग्रन्थों में महत्वपूर्ण ‘राजतरंगिणी’ की रचना किसने की?
      • 12वीं शताब्दी में कश्मीर के प्रसिद्ध विद्वान कल्हण ने
      19. सौराष्ट्र क्षेत्र (गुजरात) में रचित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
      • रसमला, कीर्तिकौमुदी, प्रबंध चिंतामणि ( मेरूतुंग ), प्रबंध कोष ( राजशेखर ) आदि ।
      20. संस्कृत के प्रथम नाटककार भास की रचनाओं ‘स्वप्नवासवदत्ता’ व ‘प्रतिज्ञायौगन्धरायण’ से किसकी जानकारी प्राप्त होती है?
      • वत्सराज उदयन व उनकी समकालीन परिस्थितियों की
      21. मौर्यकाल की आरम्भ अवस्था के सम्बन्ध में कौन-सी रचना जानकारी प्रदान करती है? 
      • विशाखदत्त द्वारा रचित मुद्राराक्षस |
      22. कालिदास ने ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ में किसकी जानकारी दी है?
      • गुप्तकालीन परिस्थितियों की
      23. मौर्य के उत्तराधिकारी शृंगों के बारे में कौन-सा नाटक जानकारी देता है?
      • कालिदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्रम्
      24. मौर्यों की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में कौन-सा ग्रन्थ महत्वपूर्ण जानकारी देता है?
      • कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र ।
      25. अभिलेखों की दृष्टि से किस शासक का काल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है?
      • मौर्य सम्राट अशोक का काल
      26. भारतीय इतिहास के निर्माण में किन अभिलेखों से सहायता मिलती है?
      • अशोक के अभिलेख, कलिंगराज खारवेल का हाथी गुम्फा अभिलेख, समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख, चन्द्रगुप्त द्वितीय की महरौली स्तम्भ लेख, स्कंदगुप्त का भीतरी स्तम्भ लेख आदि
      27. सातवाहन, शकों व कुषाणों के सम्बन्ध में मुख्य रूप से किस पर निर्भर रहना पड़ता है?
      • सिक्कों पर
      28. गुप्तकाल के अधिकांश सिक्कों पर विष्णु एवम् गरुड़ के चित्र अंकित होने से क्या प्रतीत होता है?
      • गुप्त शासक विष्णु उपासक थे।
      29. विदेशों में प्राप्त कौन से स्मारक भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में सहायक हुए हैं?
      • जावा में स्थित बोरोबुदर मंदिर व प्रबंनम मंदिर, कम्बोडिया में अंकोखाट मन्दिर, बोर्नियों में ( मुकरकमन) में मिली विष्णु की प्रसिद्ध स्वर्ण मूर्ति, मलाया में शिव, पार्वती, गणेश की मूर्तियाँ।
      30. प्राचीन भारत के इतिहास को व्यवस्थित रूप प्रदान करने में किन-किन विदेशी विवरणों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है?
      • यूनानी विवरण, चीनी विवरण, तिब्बती विवरण।
      31. कौन-से यूनानी विवरण भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में विशेष तौर पर महत्वपूर्ण हैं?
      • हेरोडोट्स, नियार्कस, मेगस्थनीज, डायमेकस, कार्टियस, एरियन, प्लूटार्क, स्ट्रेबो आदि के विवरण प्रमुख हैं।
      32. मेगस्थनीज की किस रचना से चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य के बारे में जानकारी मिलती हैं?
      • इण्डिका ।
      33. चीनी यात्री फाह्यान किस शासक के समय भारत आया था?
      • चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय 
      34. मुख्य तिब्बती विवरण कौन-कौन से हैं?
      • कंग्युर व तंग्युर
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